आदर्श श्लोक
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्।
तत् त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥
सत्य का मुख चमकीले सुनहरे आवरण से ढका है; हे पोषक सूर्यदेव! आप उस अज्ञान रूपी आवरण को हटा दीजिये , जिससे हमें सत्य और धर्म का दर्शन हो सके ।
The face of Truth is covered with a brilliant golden lid; that do thou remove, O Fosterer, for the law of the Truth, for sight.
सत्य का मुख चमकीले सुनहरे आवरण से ढका है; हे पोषक सूर्यदेव! आप उस अज्ञान रूपी आवरण को हटा दीजिये , जिससे हमें सत्य और धर्म का दर्शन हो सके ।
The face of Truth is covered with a brilliant golden lid; that do thou remove, O Fosterer, for the law of the Truth, for sight.